अमेरिका ने फिर दी धमकी, जी-7 देशों से रूसी तेल खरीदारों पर टैरिफ लगाने की अपील

अमेरिका ने फिर दी धमकी, जी-7 देशों से रूसी तेल खरीदारों पर टैरिफ लगाने की अपील






रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक ऊर्जा बाजारों में हलचल जारी है। इसी बीच अमेरिका ने एक बार फिर रूस से तेल खरीदने वाले देशों को सख्त चेतावनी दी है। वाशिंगटन ने जी-7 (G7) देशों से अपील की है कि वे रूसी तेल के खरीदारों पर अतिरिक्त टैरिफ (Tariff) लगाने पर विचार करें।


अमेरिका का रूख क्यों सख्त हो रहा है?

अमेरिका का कहना है कि रूस तेल और गैस की बिक्री से बड़ी मात्रा में राजस्व जुटा रहा है, जिसका उपयोग वह यूक्रेन युद्ध में कर रहा है। पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्राइस कैप (Price Cap) और प्रतिबंधों के बावजूद रूस वैकल्पिक बाजारों, खासकर एशियाई देशों में, अपने कच्चे तेल की बिक्री कर रहा है।


जी-7 देशों से अमेरिका की अपील

अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि सिर्फ प्राइस कैप पर्याप्त नहीं है। इसीलिए अब जी-7 देशों से आग्रह किया जा रहा है कि जो देश रूसी तेल खरीदना जारी रखते हैं, उन पर ऊंचा टैरिफ लगाया जाए।
इस कदम का उद्देश्य यह है कि रूस की ऊर्जा आय में और कटौती की जा सके और उसकी अर्थव्यवस्था पर दबाव डाला जा सके।


असर किन देशों पर पड़ सकता है?

  • भारत और चीन जैसे देश रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहे हैं। अगर जी-7 देश टैरिफ का दबाव बढ़ाते हैं तो इन देशों के लिए आयात महंगा हो सकता है।

  • यूरोपीय देशों में पहले से ही ऊर्जा कीमतों में उछाल देखा जा चुका है। ऐसे में नया टैरिफ वैश्विक तेल कीमतों को और प्रभावित कर सकता है।


रूस की प्रतिक्रिया

रूस ने बार-बार कहा है कि पश्चिमी प्रतिबंध और प्राइस कैप असफल हो चुके हैं। मॉस्को का दावा है कि वह एशियाई देशों के साथ मजबूत ऊर्जा साझेदारी कर रहा है और पश्चिम के दबाव से उसकी बिक्री पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।


निष्कर्ष

अमेरिका की नई रणनीति साफ इशारा करती है कि रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने के लिए पश्चिम अब और कड़े कदम उठाने की तैयारी में है। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि जी-7 देश इस अपील पर कितना सहमत होते हैं और इसका वैश्विक तेल बाजार पर क्या असर पड़ता है।


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