झारखंड के स्कूलों में पढ़ाई जाएगी दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी, ‘अकिल अखाड़ा’ से लेकर 19 सूत्री कार्यक्रम तक

झारखंड के स्कूलों में पढ़ाई जाएगी दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी, ‘अकिल अखाड़ा’ से लेकर 19 सूत्री कार्यक्रम तक






रांची: झारखंड सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। अब राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में झारखंड आंदोलन के प्रणेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी शामिल की जाएगी। इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को झारखंड की अस्मिता, संघर्ष और सामाजिक बदलाव की ऐतिहासिक यात्रा से जोड़ना है।


कौन हैं दिशोम गुरु शिबू सोरेन?

शिबू सोरेन, जिन्हें लोग प्यार से दिशोम गुरु कहते हैं, झारखंड की पहचान और अलग राज्य की लड़ाई का पर्याय रहे हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत “अकिल अखाड़ा” आंदोलन से की थी, जिसमें जनजातीय समाज के उत्थान और शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद की गई।

बाद में, उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का नेतृत्व करते हुए आदिवासी समुदाय के हक और सम्मान के लिए कई बड़े संघर्ष किए। उनके नेतृत्व में झारखंड आंदोलन ने गति पकड़ी और अंततः 2000 में अलग राज्य का सपना साकार हुआ।


19 सूत्री कार्यक्रम का महत्व

शिबू सोरेन ने झारखंड की जनता के लिए एक 19 सूत्री कार्यक्रम तैयार किया था। इसमें भूमि अधिकार, शिक्षा, रोजगार, स्थानीय संसाधनों पर हक और आदिवासी समाज के सामाजिक-आर्थिक विकास पर विशेष जोर था। यही कार्यक्रम आगे चलकर झारखंड आंदोलन की रीढ़ साबित हुआ।


स्कूली पाठ्यक्रम में क्यों शामिल की गई जीवनी?

शिक्षा विभाग का मानना है कि बच्चों को अपने राज्य के इतिहास और नायकों के बारे में जानकारी मिलनी चाहिए। शिबू सोरेन की जीवनी से छात्र सीख पाएंगे कि संघर्ष, नेतृत्व और समर्पण से कैसे समाज में बदलाव लाया जा सकता है।

पाठ्यक्रम में शामिल सामग्री में उनकी शुरुआती जीवन यात्रा, अकिल अखाड़ा आंदोलन, झारखंड आंदोलन, 19 सूत्री कार्यक्रम और मुख्यमंत्री बनने तक की यात्रा को सरल भाषा में प्रस्तुत किया जाएगा।


राजनीतिक और सामाजिक महत्व

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पहल न केवल विद्यार्थियों को प्रेरणा देगी बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर और अस्मिता को भी मजबूत करेगी। झारखंड आंदोलन के इतिहास को पीढ़ी दर पीढ़ी संप्रेषित करने के लिए यह कदम बेहद अहम माना जा रहा है।


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